
उदयपुर। मूलभूत सुविधाओं के नाम पर जहां लाखों दावे और वादे देखने को मिलते हैं लेकिन धरातल पर सब शून्य नजर आते हैं। उदयपुर शहर के समीप एक गांव से ऐसी तस्वीर सामने आई है जो देखकर आप भी परेशान हो उठेंगे, स्कूल जाने वाले बच्चे एक हाथ में बैग दूसरे हाथ में जूते चप्पल और कीचड़ से होकर भरे गड्ढे में पानी से निकलकर स्कूल जा रहे हैं। यह तस्वीर प्रशासन और बड़े-बड़े वादे करने वाले जनप्रतिनिधियों की भी पोल खोल रही है। उदयपुर जिले के कुराबड़ ब्लॉक में आने वाले भल्लो का गुडा गांव में इस समय ग्रामीण और स्कूली बच्चे खराब सड़क से परेशान हैं। यहां पर हालत यह है कि ग्रामीणों के साथ- साथ स्कूली बच्चे भी कीचड़ भरे रास्ते से स्कूल जाने को मजबूर हैं। यह रास्ता राजस्थान के विकास की पोल खोल रहा है। शहर से 25 किलोमीटर की दूरी पर भल्लो का गुड़ा ग्राम पंचायत जहां से करीब एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर उच्च माध्यमिक विद्यालय है। जहां पर बच्चे पढ़ाई के लिए जाते हैं और स्कूल जाने के लिए दो रास्ते हैं लेकिन दोनों रास्तों की हालत ऐसी है कि तेज बारिश में तो बच्चे उस कीचड़ में कई बार गिर भी जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यहां सड़क बनवाने के लिए शासन- प्रशासन से कई बार शिकायत किया जा चुका है, गांव के सरपंच और सचिव भी कई बार इस बात की शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। स्कूल जाने वाले बच्चों ने बताया कि कई समय ऐसे ही कीचड़ भरे रास्ते से होकर गुजरते हैं एक हाथ में बैग लेते हैं और दूसरे हाथ में जुटे चप्पल लेकर स्कूल के लिए निकलते हैं कई बार इस कीचड़ में गिर भी गए हैं और कपड़े भी उनके खराब हो जाते हैं और ऐसे हालात में भी स्कूल पहुंचते हैं। और कई बार उन्होंने स्कूल के शिक्षकों ने और परिजनों ने जिम्मेदार जनप्रतिनिधि सरपंच और प्रशासन को भी अवगत कराया लेकिन इस सड़क का समाधान नहीं हुआ यही नहीं स्कूल जाने वाले दोनों रास्ते इस तरह हाल है कि मजबूरी में लोगों को वहां से होकर गुजरना पड़ रहा है। लोगों ने बताया कि यहां बच्चों को स्कूल जाने में बहुत दिक्कत होती है। स्कूल जाने के लिए बच्चों को रोज कीचड़ के रास्ते से होकर गुजरना पड़ता हैं। स्कूल के बच्चे कंधो पर स्कूली बैग और हाथ में जूते-चप्पल लेकर रोज कीचड़ से भरे रास्ते को पार करते हैं। इतना ही नहीं जो स्कूली बच्चे बहुत छोटे हैं, उन्हें परिजन अपने कंधों पर बैठाकर स्कूल छोड़ने जाते हैं। बच्चे बताते हैं कि वर्षों से इसी तरह से नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। बच्चों ने कहा कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो वह स्कूल भी नहीं जाएंगे।
सरपंच पति क्या बोले
सरपंच पति लहरीलाल का कहना है कई बार उन्होंने पत्र लिखे हैं और डीएमएफटी फंड के लिए भी प्रस्ताव भी भेजे हैं लेकिन सड़क के लिए प्रस्ताव स्वीकार नहीं हुआ है।
